Save Waqf Conference delhi aimplb demands repeal waqf act.

वक्फ कानून के खिलाफ आज यानी मंगलवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में AIMPLB (ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) वक्फ बचाओ सम्मेलन आयोजित कर रहा है. इस दौरान महासचिव मौलाना फजलुर रहमान मुज़द्दी ने कहा कि हमने इस देश को आज़ाद कराया, अपने खून से इस सरजमीं की हिफाज़त की है. आज इसी सरजमीं पर हमें तंग किया जा रहा है.

मुज़द्दी ने कहा कि हमसे हमारी मस्जिदों, कब्रिस्तानों और दरगाहों को छीनने का काला कानून बनाया गया है. उन्होंने कहा कि ये कानून मुल्क में जम्हूरियत और सेकुलरिज्म को छीनने वाला कानून है. वहां नारे भी लग रहे थे कि वक़्फ़ कानून को वापस लो. वक्फ बचाओ सम्मेलन में बोर्ड के वक्फ बचाओ सम्मेलन में खालिद सैफुल्लाह रहमानी, अध्यक्ष, AIMPLB, असदुद्दीन ओवैसी, जमात ए इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदतुल्लाह हुसैनी, मलिक मोहताशिम खान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, जमात ए इस्लामी हिंद, अजमेर दरगाह के सज्जादानशीन सरवर चिश्ती, शिया धर्मगुरु कल्ब ए जवाद शामिल हुए.

हमने सब बर्दाश्त कर लिया

पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने कहा कि ये दिखा दें कि आज के इस जलसे में सब मौजूद हैं. एक होती हुई कौम को जगा दिया है. शुक्रिया मोदी जी. हमने सब बर्दाश्त कर लिया, 10-12 साल से तमाशा था. कभी लिंचिंग हुई, कभी घर जले, लेकिन अब दीन का मामला आ गया. बोर्ड का शुक्रिया. उन्होंने कहा किहमारा दीन नहीं तो दुनिया में हमारा वजूद नहीं. हम अकेले ऐसे लोग हैं, जिन्होंने देश के झंडे को अपनाया. 5 तारीख को सुप्रीम कोर्ट में मामला है. पार्लियामेंट में बोलते रहे कि ये ग़लत है. अगर उसको अपनी अस्मत को कायम रखना है तो इसे देखना होगा.

मौलाना अरशद मदनी कार्यक्रम में किसी वज़ह से नहीं आ सके. उनका बयान जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के दिल्ली महासचिव मुफ़्ती अब्दुर रज़िक ने मंच से पढ़कर सुनाया. इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में खुद भाग लेने का इरादा था, लेकिन तबीयत की खराबी के कारण आ नहीं सका. इस कार्यक्रम की सफलता के लिए दुआ करता हूं और उन सभी लोगों की कोशिशों और प्रयासों को कद्र की निगाह से देखता हूं, जो इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में विशेष भूमिका निभा रहे हैं.

अपनी शरीयत में दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं कर सकते

मौलाना अरशद मदनी ने बयान में कहा कि वक़्फ़ की सुरक्षा की लड़ाई हमारे अस्तित्व की लड़ाई है और वक़्फ़ संशोधन कानून हमारे धर्म में सीधी दखलअंदाजी है. वक़्फ़ को बचाना हमारा धार्मिक कर्तव्य है. मुसलमान हर चीज़ से समझौता कर सकता है, लेकिन अपनी शरीयत में किसी भी तरह की दखलअंदाजी को बर्दाश्त नहीं कर सकता.

इसलिए हम वक़्फ़ कानून 2025 को पूरी तरह से खारिज करते हैं. उन्होंने कहा कि अगर संविधान को बचाना है, तो इस वक़्फ़ कानून 2025 को पूरी तरह से खत्म करना होगा, क्योंकि हमारी नज़र में संविधान लोकतंत्र की बुनियाद का वह पत्थर है जिसे अगर हिला दिया गया, तो लोकतंत्र की यह शानदार इमारत खड़ी नहीं रह सकेगी.

इसलिए हम हमेशा कहते हैं कि संविधान बचेगा तो देश बचेगा. संविधान की सर्वोच्चता समाप्त हुई तो लोकतंत्र भी जिंदा नहीं रह पाएगा. लेकिन पिछले कुछ सालों में देश में जो एकतरफा राजनीति की जा रही है, उसने संविधान के अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर दिया है.

हम इस मुद्दे को कभी भी हिंदू-मुस्लिम नहीं बनने देंगे, क्योंकि यह लड़ाई हिंदू-मुस्लिम के बीच नहीं, बल्कि साम्प्रदायिकता और सेकुलरिज्म के बीच है. हम देख रहे हैं कि इसे हिंदू-मुस्लिम मुद्दा बना देने की संगठित साज़िश की जा रही है. वक़्फ़ को लेकर लंबे समय से इस तरह का नकारात्मक प्रचार किया गया और अब भी किया जा रहा है. इसका उद्देश्य यही है कि देश की बहुसंख्यक आबादी को वक़्फ़ के बहाने मुसलमानों के खिलाफ खड़ा कर दिया जाए.

नीतीश और नायडू नए सावरकर बन रहे

एसडीपीआई के मोहम्मद शफी ने कहा कि नीतीश और नायडू नए सावरकर बन रहे हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सदस्य रफीउद्दीन अशरफीन ने कहा कि हमने सर पर कफन बांध लिया है. वक़्फ़ कानून वापस लो, हम अपने सरों का नजराना देने के लिए तैयार हैं. मुसलमानों बोर्ड की आवाज पर बाहर निकालो. मुसलमानों तुम्हें सड़कों पर उतरकर बताना होगा, इरादा क्या है.

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